nickel cadmium battery charger
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nickel cadmium battery charger |
आज के समय में ज्यातर डिजिटल उपकरणों जैसे कैमरों, डिजिटल घड़ी, मोबाईल इत्यादि में प्रयुक्त होनें वाली बैटरीयों और इसी तरह के अन्य इलेक्ट्रानिक इक्यूप्मेंटों में निकिल कैडमियम और लिथेनियम बैटरियों का बहुदा उपयोग किया जाता है। कुछ उपकरणों में तो इनकी चार्जिग के लिए उपकरण के आंतरीक भाग में ही चार्जिग व्यवस्था स्थापित की गई होती है, परंतु बहुत सारी उपकरणों के लिए बहार से चार्ज करनें की आवश्यकता पड़ जाती है, और कुछ उपकरणों के लिए तो पुर्ण रूप से बाहर से ही चार्ज कर के उनका उपयोग करना होता है। इसलिए एक बाहरी निकिल कैडमियम बैटरी चार्जर की आवश्यकता अक्सर पड़ जाती है, तो आज हम इसी से संबंधित सर्किट निर्माण प्रणालि के बारे में जानेंगे!
निकिल कैडमियम बैटरी एक प्रकार की रिचार्जेबल बैट्री होती है, इस प्रकार की बैटरीयो को बार-बार चार्ज किया जा सकता है, इस प्रकार की बैट्री के निर्माण में निकिल ऑक्साइड, धातु कैडमियम, एवं हाइड्राक्साइड जैसे रसायनों का उपयोग किया जाता है, बाजार में इस तरह की निकिल कैडमियम बैटरियाँ कई मानक एवं आकार में उप्लब्ध होती हैं जो विभिन्न प्रकार के कार्यो के लिए प्रयुक्त किये जाते हैं, चुकि इन प्रकार की बैटरियों के निर्माण में जहरीली धातुओं का उपयोग किया जाता है, इसलिये इसे प्रर्यावरण की दृष्टिकोण से उप्युक्त नहीं माना जाता है।
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nickel cadmium battery |
सर्व प्रथम थाॅमस एडिसन ने लगभग 1902 ई0 में निकिल कैडमियम बैटरियों के लिए पेटेंट कराया था, इस प्रकार के बैटरियो के निर्माण में आम तौर पर धातु की दो प्लेटों का उपयोग किया गया होता है, जिसपर कैडमियम हाइड्राक्साइड और निकिल हाइड्राक्साइड जैसे केमिकल पदार्थो की लेयर लगाई गई होती है!
प्रारम्भ में बननें वाली निकिल कैडमियम बैटरीयों में धनात्मक इलेक्ट्रोड के रूप में निकिल ऑक्साइड जैसे तत्व और रिनात्मक इलेक्ट्रोड के रूप में आयरन और कैडमियम जैसे तत्वों का उपयोग किया जाता था, लेकिन बाद में इसकी प्रकृति बदल दी गई और बाद के समय में शुद्ध कैडमियम धातु और निकल हाइड्राक्साइड का उपयोग किया जानें लगा ऐसा इसलिए की इस प्रकार के बैटरियों में होनें वाली रासायनिक प्रतिक्रिया को विस्तृत रूप से उस समय तक समझा नहीं जा सका था, इसलिए तरह तरह के अनुप्रयोगों अैर समय के साथ-साथ इसे और ज्यादा परिस्कृत बानानें के प्रयास होते रहे ।
इस प्रकार की बैटरीया आम तौर पर काफी पतली और छोटी होती है, इसके अलावा यह अपनें कार्यशिलता में भी काफी दक्ष होती हैं। पुरानी तरह की बैटरीयां जो जस्ता और कार्बन छड़ के इस्तेमाल से बनाई जाती थी उनके वोल्टेज उत्सर्जन की तुलना में यह निकिल कैडमीयम एवं लिथेनियम बैटरीयां 1.5 वोल्ट के स्थान पर 1.2 वोल्ट प्रती सेल की क्षमता को ही प्राप्त कर पाते हैं, इस प्रकार की बैटरीयों के चार्जिग के लिए इसकी वास्तविक क्षमता से ज्यादा विधुत की आपुर्ति करनें की आवश्यकता होती है। निकिल कैडमियम और लिथेनियम बैटरीयों के चार्जिग के समय तापमान बढ़नें का दर उनके आंतरिक प्रतिरोध और उनके चार्ज किये जानें वाले उर्जा पर निर्भर करता है, इस प्रकार के बैटरीयो में ओवर चार्जिग करनें पर आकस्मात फट जानें का खतरा बना रहता है, परंतु यह सामान्य चार्जिग वोल्टेज पर काफी अच्छी प्रकार से रेस्पोंस दे पाते है, अगर किसी कारण वश इसे लम्बे समय तक बिना उपयोग के यु ही रखना हो तो कम से कम 60 प्रतिशत क्षमता तक चार्ज कर के ही इसे रखना चाहिए। वर्तमान समय में निकिल कैडमियम और लिथेनियम बैटरीयों नें बाजार में अपनी काफी अच्छी पकड बनाने में सक्षम हो पाई है, इस प्रकार की बैट्री से चलनें वाले इलेक्ट्रानिक उपकरणों मे आज ज्यादातर इनका इस्तेमाल देखा जा सकता है।
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