how to use multimeter
how to use multimeter |
मल्टीमीटर जैसा की नाम से ही विदित् है, एक ऐसा मीटर जिससे कई प्रकार की टेस्टींग की जा सकती है। यह इलेट्रॉनिक्स तथा इलेक्ट्रिकल उपकरणों की इकाई में कई तरह के माप को करनें में सक्षम है । मल्टीमीटर से वोल्टेज की इकाइयां प्रतिरोध, कैपेसीटर की कैपीसीटेंस, फ्रिक्वेंशी, ऐम्पीयर, आदि को मापा जा सकता है। यह दो तरह के सिगमेंट में उपलब्ध है! डिजिटल और एनालॉग। डिजिटल मल्टीमीटर में आंकड़ो को प्रर्दर्शीत करनें के लिए एक डिस्प्ले का उपयोग किया जाता है! एक एनालॉग मल्टीमीटर के अपेक्षाकृत डिजिटल मल्टीमीटर आंकड़ो को ज्यादा सटीकता से पर्दर्शीत करते हैं, परन्तु कहीं-कहीं पर एनालॉग मल्टीमीटर डिजिटल मल्टीमीटर के अपेक्षा ज्यादा अच्छा पर्दर्शन कर पाते हैं! खासतौर पर जब आंकड़ो का परीर्वतन ज्यादा तेजी से हो रहा हो।
बाजार में कई तरह के डिजिटल और एनालॉग मल्टीमीटर उपल्बध हैं कुछ मल्टीमीटर जो कम कीमत की होती है उनका प्रद्रशन कुछ खास अच्छा नहीं होता परन्तु किमत बढ़नें के साथ-साथ उनकी क्वायलीटी अच्छी होती जाती है! और उनमें आंकड़े काफी सटीकता से पर्दर्शीत हो पाते हैं । लगभग 1820 में बनाया गया मीटर जो गैल्वेनोमीटर कहलाता था, खास तौर से इनका उपयोग प्रतिरोध तथा वोल्टेज को मापनें के लिए बनाया गया था। 1920 के प्रारम्भीक दशक में जब इलेक्ट्रानिक उपकरणों के उत्पादन और बिक्रय ज्यादा होंनें लगे तब उनकी रख रखाव और मरम्मत करनें के उदेश्य से ज्यादा सटीक और सुलभ मल्टीमीटर का उत्पादन होनें लगा इस नये मल्टीमीटर मे ज्यादा सटीकता के साथ प्रतिरोध, वोल्ट, एम्पीयर, आदि को माप सकते थे। इनमें एक रोटरी स्वीच लगा होता था जो रेंज को बदलनें का काम करता था!
एक विशेष मल्टीमीटर जिसे कलैंप मीटर कहा जाता है इसमें जाँच किये जानें वाले उपकरण में बिना स्पर्श किये वोल्ट और उसके एम्पीयर को जाँच किया जा सकता है, इसमें ट्रांसफार्मर के सिधांत का प्रयोग करके उनसे उत्पन्न होनें वाली चुम्कीय प्रभाव को मापा जाता है।
मल्टीमीटर को उपयोग करनें के तरीके :-
आधुनिक मल्टीमटर एक कॉमन मल्टीमीटर होते हैं, जिनमे काफी चीजों को चेक किया जा सकता है जिसका पूर्ण विवरण निचे दिया जा रहा है।
- Resistance Testing :-
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how to use multimeter |
डिजिटल मल्टीमीटर के अन्दर प्रतिरोध (रजिस्टेंस) को मापनें के लिए कई रेंज दिये गये होते हैं, जैसे 200Ω, 2k Ω, 20k Ω, 200k Ω, 2m Ω एवं 200m Ω जिसे एक रोटरी स्वीच के द्वारा सही रेटींग पर सेट कर के एक रजिस्टेंस के मान को हम ज्ञात कर सकते हैं। इसके लिए रजिस्टेंस के दोनों छोर को मल्टीमीटीर के दोनों लिडो से स्पर्श करा कर चेक किया जाता है।
- A/c Volt Testing :-
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A/c Volt Testing |
A/c रेंज को चेक करनें के लिए मल्टीमीटर में लगभग 200 मीली वोल्ट से लेकर 750 या मल्टीमीटर के अनुसार इससे भी ज्यादा वोल्ट को चेक करने की व्यवस्था होती है। इसे भी चेक करने के लिए उसी फामुर्ले का प्रयोग किया जाता है, अर्थात् मल्टीमीटर के नेगेटीव लीड को जहां की भी पावर चेक करनी हो वहां के कॉमन पॉइंट पर और पोजेटीव लीड को उस स्थान पर स्पर्श कराया जाता है जिस स्थान पर के वोल्टेज को हमें जाँच करना होता है, इस प्रकार मल्टीमीटर के डिस्प्ले पर उस स्थान पर आनेंवाले वोल्ट की रेटींग हमें प्राप्त हो जाती है।
- D/c Volt Testing :-
डी सी वोल्ट की टेस्टींग में उपरोक्त प्रकृया को ही अपनाया जाता है, परन्तु यहाँ इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए कि मल्टीमीटर की पोजेटीव लीड को सप्लाई के पोजेटीव प्वांट और नेगेटीव लीड को सप्लाई के नेगेटीव प्वांट पर ही लगाया जाये ऐसा ए सी वोल्ट को चैक करते समय आवश्यक नहीं है, एसी वोल्ट की टेस्टींग में मल्टीमीटर के किसी भी लीड को सप्लाई के किसी भी प्वांट पर लगाया जा सकता है।
- Ampier Testing :-
एम्पीयर टेस्टींग के लिए मल्टीमीटर के लिड को सर्किट बोर्ड के उस स्थान पर जहां की एम्पीयर को चेक करना हो सीरीज में लगाया जाता है, तब उसमें आनेंवाली रीडींग हमें मल्टीमीटर के डिस्प्ले पर प्राप्त होता है।
- Contenuti Testing :-
कन्टीन्यूटी टेस्टींग के अन्तर्गत हम किसी भी सुचालक से विधुत धारा के प्रवाह के रूकावट तथा सही होने की जाँच करते हैं, एक मल्टीमीटर के इस प्वांट का प्रयोग किसी सर्किट की जाँच में ज्यादातर उपयोग किया जाता है।
- Continuity Testing:-
एक कैपेसीटर को जाँच करने के लिए मल्टीमीटर के इस प्वांट का प्रयोग किया जाता है मल्टीमीटर के अन्दर इसकी जाँच के लिए 20n, 200n, 2uf, 20uf, और 200uf, आदी का प्वांट दिया गया होता है।
- hFE Testing :-
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hFE Testing |
मल्टीमीटर के अन्दर सेमी कन्डक्टर के अंतर्गत आनेवाले "एन पी एन" और "पी एन पी" ट्रांजिस्टर की जाँच में आसानी के लिए दिया गया होता है इसमें "एन पी एन" और "पी एन पी" ट्रांजिस्टर के जाँच के लिए अलग-अलग चार-चार छिद्र बनाये गये होते हैं जिसमें डायरेक्ट ट्रांजिस्टर के पिनों को लगाकर उसकी सटीकता की जाँच कर सकते हैं। जिससे की ट्रांजिस्टर की बेस, कलेक्टर, और इमिटर का पता हमें आसानी से हो जाता है।
एक मल्टीमीटर से किया जानेंवाले ये सारे टेस्टींग प्रकृया काफी महत्वपूर्ण हैं, जिनके सहारे इलेक्ट्रानिक सर्किट में आनेंवाली खराबीयों को जाँच कर उन्हें काफी आसानी के साथ दुरूस्त किया जा सकता है!
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