Microwave
"Microwave"एक प्रकार की विद्युत चुम्बकीय तरंगें होती है जो काफी सुक्षम तरंगों के रूप में जानी है, इनकी फ्रिक्वेंशी मानक लगभग 300 मेगा हर्ट्ज़ से लेकर 300 गीगा हर्ट्ज के बीच की होती है, जो extremely high frequency(EHF) अथवा microwaves frequency कहलाती है, इस प्रकार की फ्रिक्वेंशी रेंज एटोमीक इफेक्ट के रूप में उष्मा उत्सर्जित कर पानें में सक्षम होती है, इन प्रकार के फ्रिक्वेंशीयों को आज के समय में बहुत सारे क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है, विशिष्ट रूप में घरेलु Microwave ओवन के रूप में इस प्रणाली का बहुदा प्रयोग हमें देखनें को मिलता है, जिसमें इस मानक फ्रिक्वेंशी के उपयोग से उष्मा उसर्जित कर वांक्षीत कार्य लिया जाता है। विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रो मैग्नेटिक वेव को निचे प्रर्दशित किया जा रहा है।
सर्वप्रथम 1947 में व्यावसायिक तौर पर रेथियॉन रैडंगे ने एक प्रकार के Microwave ओवन का निर्माण किया था जिसमें हिटींग प्रणाली कारगर तो थी परंतु यह अपनें तकनीकी बनावट के कारण उस समय के अनुसार काफी महंगी उपकरण थी, यह Microwave के विकाश का प्रारम्भिक दौर था, 1970 ई0 के आते आते Microwave तकनीक में काफी सारे परिर्वर्तन किये गये इस प्रकार के हो रहे तेजी से तकनीकी विकास के कारण इलेक्ट्रानिक ओवन की किमतों में काफी ज्यादा कमी आ गई जिससे की यह आम लोगों के पहुंच के अंतर्गत हो गई, लेकिन इससे पुर्व इस प्रकार के ओवन का प्रयोग केवल औद्योगिक ईकाईयों के लिये किया जाता था। किमतों में गिरावट होंने के बाद इसकी मांग आम लोगों में काफी तेजी से होंनें लगी, अब यह रसोई बनाने जैसे कार्यो के लिए एक मुख्य उपकरण के रूप में पदस्थापित होनें लगा था। धीरे-धीरे इसकी मांग इतनी ज्यादा बढनें लगी़ की 2008 के आते आते तक लगभग 95 प्रतिशत ऑस्ट्रेलियाई घरों में यह पहुंच चुका था, अब के समय में तो Microwave का उपयोग घरेलु उपकरण के रूप में आम हो चुके हैं।
अगर इसके अन्दर प्रयुक्त होनें वाली तकनीक की हम बात करे तो रसोई घरों के लिए सामान्य हो चुकी यह उपकरण एक प्रकार की Micro wave प्रणाली पर आधारीत स्टोव होता है, जिसका प्रयोग सामान्य रूप में हम खाना पकानें के लिए करते हैं, इसके अंतर्गत विद्युत चुम्बकिये विकिरणों को उत्सर्जित कर उष्मा उत्पन्न करनें का कार्य लिया जाता है। आधुनिक समय में अधिकांशतः Microwave में मैग्नेट्रॉन ट्रांसर्फामर का उपयोग किया जाता है जो एक उच्च धनत्व वाली चुम्बकीय क्षेत्र को उत्पन्न करनें में कारगर होता है, इस प्रकार के उपकरण आम तौर पर 2.5 गीगाहर्ट्ज़ फ्रिक्वेंशी का उपयोग करते हैं, पर कुछ अन्य प्रकार के Microwave इस तकनीक के लिए कई अन्य प्रकार की फ्रिक्वेंशीयों का भी उपयोग करते हैं। यह एक ऐसा इलेक्ट्रानिक स्टोव है जो खुद को गर्म किये बगैर सिर्फ उसमें पकाये जानें वाले खानें को गर्म करता है, इसमें पकाये जानें वाले खानें में अन्य साधारण प्रकार के स्टोवों की तुलना में खाद्य पदार्थो के पोषक तत्वों को काफी हद तक बनाये रखनें में कारगर होता है। आधुनिक Microwave में कई कंट्रोलिंग सिस्टम लगाये जाते हैं जो जिडिटल अथवा एनालॉग हो सकते है, जो एक माइक्रोवेव को ज्यादा परिस्कृत बना पाते है। इसलिए इस प्रकार के उपकरण का उपयोग किया जाना स्वाथ्य के लिए भी संभवतः हितकर ही है। इसमें प्रयुक्त टाईमर प्रणाली आपकी अनुपस्थिति में भी बानाये जानें वाले खानें को खराब नहीं करती वह स्वचालित रूप् से उष्मा और उसमें पकाये जानें वाले भोजन के लिये समय को निधार्रित करती रहती है, जिसके कारण खाना पकानें जैसे कार्यो के लिए एक सुविधाजनक व्यवस्था बन पाती है।
अब यह उपकरण काफी लोकप्रिये धरेलु स्टोव के रूप मे जाना तथा उपयोग किया जाता है, Microwave के विकाश का एक लंबा इतिहास रहा है, जो क्रमशः विकसित होते-होते आज के इस स्वरूप को प्राप्त कर पाया है।
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