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इलेक्ट्रॉनिक्स / इलेक्ट्रिकल, सेमीकंडक्टर, इंडक्टर्स, रजिस्टेंस, इलेक्ट्रॉनिक प्रोजेक्ट, बेसिक इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रॉनिक्स ट्यूटोरियल, कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी, और इसी तरह के अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स संबंधित जानकारीयाँ पूर्ण रूप से हिन्दी में ……

मंगलवार, 1 जनवरी 2019

Details about Amplifier, and its work.


Amplifier Introductions


Audio Amplifier
Audio Amplifier


Amplifier  जिसका शाब्दीक अर्थ है किसी इलेक्ट्रानिक सर्किट में विधमान कमजोर सिगनल को आवश्यकता के अनुसार उसे बढ़ाना । जिससे कि वो वहां पर उपयोगी सिद्ध हो। एक एम्लीफायर का उपयोग बहुत सारे इलेक्ट्रानिक उपकरणों में किया जाता है। जैस टीबी रिसीवर, सेटअप बॉक्स ,होम थियेटर, सभी प्रकार के मोबाईलों में, रेडियो और इसी तरह के अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों में इसका प्रयोग किया जाता है।
आज के समय में एम्लिफायरों का उपयोग व्यापक रूप से किया जाता है! इस प्रकार से अगर देखा जाये जो इसका प्रयोग लगभग सभी इलेक्ट्रानिक उपकरणों में किया जाता है।
     19470 से लेकर 1970/800 तक एम्लिफायरों में सिगनल को एम्लिफाई करनें के लिए वैक्यूम ट्यूबों का प्रयोग प्रचुरता के साथ किया जाता था, इसके प्रशचात् धिरे-धिरे सारे एम्लिफायर उपकरणों में ट्रांजिस्टरों का प्रयोग किया जानें लगा।
इसके मुख्य फैक्टर गेन, फ्रीक्वेंसी रिस्पोन्स, पावर आउटपुट, डिस्टोरेशन, आदि हैं! जो एक एम्लिफायर के कार्य प्रणाली में अहम भुमिका निभाते हैं। कार्यो के आधार पर Amplifier को हम दो भागों में बांटते हैं।

1.वोल्टेज एम्लिफायर और 2.पावर एम्लिफायर



  • Class “A” Amplifier
इस प्रकार के Amplifier को काफी अच्छा समझा जाता है जिसका कारण है इस प्रकार के एम्लिफायर से निकलनेवाली आउटपुट में डिस्टोरेशन का बहुत कम होना ऐसे एम्लिफार की फीडैलिटी रेंज काफी अच्छी होती है! तथा इनमें एनोड करंट पुरी साइकल के समय बहता रहता है। ऐसे एम्लिफायर की आउटपुट छमता कम होती है, इसका ज्यातर उपयोग इलेक्ट्रानिक सर्किट के अंतर्गत ।थ्ए त्थ्ए और प्थ् सेक्सन में किया जाता है।


  • Class “B” Amplifier

इस प्रकार के Amplifier की आउटपुट छमता ज्यादा होती है, परन्तु इसका करन्ट का फलो अर्ध साइकल तक ही सीमित होता है जिसके कारण इसके आउटपुट में ज्यादा डिस्टोरेशन होता है। ऐसे एम्लिफायर का प्रयोग इलेक्ट्रानिक सर्किट के अंतर्गत आउटपुट विभाग में किया जाता है। फिल्टरेशन के माध्यम से इनके आउटपुट के डिस्टोरेशन को कुछ कम किया जा सकता है। पी/ए सिस्टम में उपयोग किये जानें वाले बडे-बडे एम्लिफायरों में क्लास बी एम्लिफायर का ही ज्यादातर प्रयोग किया जाता है। इसका मुख्य कारण है इसका आउटपुट रेंज ज्यदा बडा होना जिससे बडे बडे स्पीकर को चलाया जा सके।


  • Class “C” Amplifier

क्लास सी Amplifier का प्रयोग रेडियो ट्रांसमिशन के लिए किया जाता है इसे एक एम्लिफायर के अंतीम स्टेज अर्थात ओसीलेटर विभाग में किया जाता है, इस स्टेज के पशचात् सिगनल को सिधे ही एंटिना पर प्रसारण के लिए भेज दिया जाता है। इसकी आउटपुट छमता ज्यादा होती है 70%से लेकर 85% तक हम इससे अउटपुट प्राप्त कर सकते हैं


  • डिस्टोरेशन-

एक Amplifier के इनपुट में दिये  जाने वाले सिगनल से आउपुट में अगर किसी भी प्रकार का परीर्वतन प्राप्त होता है तो वह डिस्टोरेशन कहलाता है। ये किसी भी एम्लिफायर के लिए अच्छी नहीं होती परन्तु काफी अच्छी फिल्टरेशन करनें के वावजुद भी बडे एम्लिफायरो के अउटपुट में कुछ न कुछ डिस्टोरेशन मिेल ही जाता है। अगर डिस्टोरेश ज्यादा मिल रहा हो यानी कि वह एम्लिफाई किये जानें वाले सिगनल को सही प्रकार से एम्लिफाई नहीं कर पा रहा हैं।


  •  पावर एम्लिफायर- 

एक Amplifier सर्किट का अंतिम स्टेज जो आउटपुट देता है वह पावर एम्लिफायर कहलाता है अलग-अलग एम्लिफायरों में भिन्न-भिन्न वाट के अनुसार इसके सर्किट में थोडे बहुत परिर्वतन किये जाते हैं, एक वोल्टेज एम्लिफायर में सर्किट का इम्पीडैन्स अधिक होता है तथा सर्किट में करंट एवं पावर की खपत भी कम होती है!
   वहीं पावर एम्लिफायर का सर्किट का इम्पीडैन्स कम होनें के साथ साथ अपनें पावर के स्रोत से वह ज्यादा उर्जा की खपत करता है, जिसके कारण से उसमें अधिक उष्मा भी पैदा होता है जिसे कम करनें के लिए हिट सिंक जो एलुमिनियम या कॉपर धातु का बना होता है जिससे कि उससे निलकने वाली उष्मा को धातु के हिट सिंक पर भेज कर कम किया जा सके और ट्रांजिस्टर अथवा आई सी लम्बे समय तक कार्य करता रहे को स्थापितं किया जाता है ।

एम्लिफायर के प्रकार :-
  • ·       Audio Frequency Amplifier
  • ·       IF Amplifier
  • ·       RF Amplifier
  • ·       Video Amplifier


  1. Audio Frequency Amplifier- 

 वैसे Amplifier सर्किट जिनका प्रयोग ध्वनि के विस्तार के लिए किया जाता है, उसे ऑडियो फ्रिक्वेंशी एम्लिफायर कहा जाता है। इनके अन्दर सुक्ष्म ध्वनि तरंगों को हमारे सुननें लायक या उससे भी काफी ज्यादा स्तर तक एम्लिफाई किया जाता है। हमारें धरों के अन्दर भी इस तरह के एम्लिफार के काफी उदाहरण देखनें को मिल जाते हैं मोबाईल टीबी आदि उपकरणों मे भी इनका प्रयोग किया गया होता है।
Audio Amplifier
Audio Amplifier

  1. IF Amplifier- 

आई एफ एम्लिफायरों का प्रयोग वहां पर किया जाता है जहां बहुत सारे फ्रिक्वेंशियों में से वांछीत फ्रिक्वेंशि का चयन हमें करना होता है। यह एक से लेकर तीन चार स्टेज तक के बनाये जाते है जिससे कि प्रत्येक स्टेज में क्रमशः अवांछीत फ्रिक्वेंशि को हटाते हुए सही फ्रिक्वेंशि का चयन हम कर पाते हैं। पुरानें रेडियो रिसिवरों के अंतर्गत इनका उपयोग देखा जा सकता है।
IF Amplifier
IF Amplifier

  1. RF Amplifier-

इस प्रकार के Amplifier का काम होता है लो रेडियो फ्रिक्वेंशि को एम्पलिफाई करना यह इलेक्ट्रानिक सर्किट के अन्दर आनेवाले कमजोर आर एफ सिगनल को बुस्ट कर के अधिक तकतवर बनता है आमतौर पर एक आर एफ Amplifier ट्रांसमिटर के एंटीना को ड्राइव करनें का काम करते हैं।
RF Amplifier
RF Amplifier

  1. Video Amplifier-

जैसा की नाम से ही जाहिर है इस प्रकार के Amplifier का उपयोग कमजोर विडियो सिगनल को बुस्ट करनें के लिए किया जाता है। इसमे अलग-अलग विडियो के प्रकारों जैस 720पी 1080पी आदि विभिन्न प्रकार के विडियो सिगनलों के अर्थात् अलग अलग बैंडविड के विडियो को एम्लिफिकेशन के लिए भिन्न-भिन्न सर्किटों का प्रयोग किया जाता है, जैसे एक साधारण विडियो टीवी और एक एच डी टीवी का अन्तर हम करते है।
Video Amplifier
Video Amplifier
ये सारे अलग अलग प्रकार के Amplifier जिनका काम विभिन प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक सर्किटों में एम्पलीफिकेशन का ही होता है परन्तु अलग अलग कार्यो के लिए इनकी डिजाईन करने का अंतर होता है ! 

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