Semiconductor
एक अर्धचालक पदार्थ में सुचालक एवं कुचालक दोनों पदार्थो के बिच का गुण पाया जाता है, अर्ध चालकता वाले उपकरण (जैसे डायोड, ट्रांजिस्टर, एल.इ.डी, आईसी, आदि) मे एक अर्ध चालक जंक्शन बनाया गया होता है, सभी प्रकार के अर्ध चालकों में ये जंक्शन ही मुख्य आधार होते है, इसके कुछ उदाहरण हैं जर्मेनयम, सिलिकॉन , तथा गैजिकन आर्सेनाइड,।
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आमतौर पर प्रयोग किये जानेंवाजे अर्ध चालक पदार्थो में सिलिकॉन के बाद गैजिकन आर्सेनाइड का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है, ये काफी महत्वपूर्ण अर्ध चालक पदार्थ है, जिसका प्रयोग लेजर डायोड एवं सोलर पैनल बनानें में किया जाता है, अधिकांश सेमी कंडकटर पार्टस को बनानें के लिए सिलिकॉन अर्ध चालक पदार्थ का ही प्रयोग किया जाता है।
- आर्ध चालकता विवरण :-
एक अर्ध चालक जर्मेनियम प्रमाणु के valence electorn अपनें समीप के valence electorn से साझा कर सह संयोजक बंधन बनाते हैं, और क्रिस्टल का रूप ले लेते हैं, समान ताप पर यह आवष्यक उर्जा प्राप्त कर इस बंधन (co valence bond) को तोड़ देते हैं । इसके टुटनें से जो रिक्त स्थान बनता है। वह छ्रिद्र (hole) कहलाता है, यह छ्रिद्र (hole) धनात्मक आवेष के तुल्य होता है, जब कोई संयोजि इलेक्ट्रान इस बंधन को पुरा करनें के लिए छिद्र के पास आता है तो छिद्र (hole) उस इलेक्ट्रान के द्रारा छोडे गये स्थान पर चला जाता है। अर्ध चालक की चालकता इन्हीं छिद्रों तथा संयोजी इलेक्ट्रानों के गतीशील होनें से उत्पन्न होता है। यह "एन टाइप" और "पी टाइप" दो प्रकार के होते हैं, जैसे एन पी एन ट्रांजिस्टर, और पी एन पी ट्रांजिस्टर इत्यादि होते हैं । एक अर्ध चालक क्रिस्टल में काफी सारे पी और एन टाइप के क्षेत्र होते हैं, इलेक्ट्रानिक सर्किट मे इन्हीं पी और एन टाइप के सेमी कंडटरों का बहुलता से प्रयोग होता है, 1904 ई0 में पहला अर्ध चालक डायोड का खोज किया गया था, जिसका प्रयोग सर्व प्रथम रेडियो रिसीवर में किया गया था ।
अपनें प्राकृतिक स्थिति में अर्ध चालक एक निम्न दर्जे का कंडक्टर होता है क्योंकि यह इलेक्ट्रानों के प्रवाह में काफी व्यवधान (अवरोधकता) उत्पन्न करता है, सेमी कंडक्टरर्स को डापिंग या गेटिंग जैसे तकनीकों के माध्यम से उन्नत कार्यशील बनाया जाता है।
कुछ अर्ध चालकों में गर्मी उत्सर्जन के बजाये प्रकाश उत्सर्जन करनें का गुण पाया जाता है, जिसका उपयोग L.E.D एवं अन्य समानुपाती पार्टसों मे किया जाता है, इनका भी मुख्य आधार सिलिकॉन और जर्मेनियम पदार्थ ही होते हैं, क्योंकि एक समय में समान रूप से इनके अन्दर इलेक्ट्रानों को खोनें और हांसिल करनें की छमता होती है। इलेक्ट्रानिक उद्धयोगों में अर्ध चालक एक महत्वपूर्ण पदार्थ है, इसका ही उपयोग कर के ट्रांजिस्टर, डायोड, L.E.D, आईसी, एल डी आर, आदि घटकों का निर्माण संभव हो सका है, जिसका प्रयोग आज बहुलता से लैपटाप, मोबाईल, प्रिटर, स्कैनर, आदि काफी तरह के घरेलु इलेक्ट्रानिक उत्पाद और बहुत सारे इलेक्ट्रानिक सर्किटों में किया जाता है। अच्छे प्रकार के अर्ध चालक सामग्रीयों के निर्माण में रासायनिक शुद्धता काफी महत्वपूर्ण है, ऐसा न होनें पर अर्ध चालक घटकों में कार्य कुशलता पर काफी ज्यादा असर पड़ता है,
- एन टाइप :-
जब जर्मेनीयम प्रमाणु(Tetra Valent) में Petra Valent तत्व जैसे आर्सेनीक मिलाते हैं तो इसमें इलेक्ट्रान का आधिक्य होता है आर यह एन टाइप का अर्ध चालक कहलाता है।
- पी टाइप :-
चुकि जर्मेनियम परमाणु Tetra Valent तत्व हैं इसलीए इसमें Trivalent तत्व मिलाते हैं जिसमे छिद्रों का आधिक्य होता है, और इस प्रकार का अर्ध चालक पी टाइप अर्ध चालक कहलाता है।
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