electroplating
electroplating mathode |
सामान्य तौर पर इलेक्ट्रानिक विधि का प्रयोग कर के किसी धातु के उपर परत चढानें की प्रकृया को electroplating कहा जाता है। इस प्रतिकृया के अंतर्गत विधुत प्रवाह का उपयोग कर के किसी धातु के उपर (सुचालक पदार्थ) एक पतली सी परत चढ़ाई जाती है। प्रमुख तौर पर इलेक्ट्रोप्लेटिंग का उपयोग किसी भी प्रकार के धातु के उपरी सतह पर किसी अन्य धातु की काफी पतली सी एक लेयर चढ़ायी जानें के लिए की जाती है। यह काफी उपयोगी प्रतिकृया है इसका उपयोग हम काफी जगहों पर करते हैं, इलेक्ट्रोप्लेटिंग प्रतिकृया के अंतर्गत हम निम्न प्रकृया को हम उपयोग में लेते हैं!
- Pulse electroplating or pulse electrodeposition (PED)
यह विधि में इलेक्ट्रोप्लेटिंग प्रकृया को पूर्ण करनें के लिए सामान्य तौर पर पल्स विधि का उपयोग कर के प्रकृया को पूर्ण किया जाता है। इसमें दो अलग अलग मुल्यों के बिच बारी बारी से पल्स इलेक्ट्रिसिटी का उपयोग किया जाता है, इस विधि के अंतर्गत एनोड मटेरियल को रिवर्स इलेक्ट्रोप्लेटिंग विधि के अनुरूप कार्यरत किया जाता है एवं धातु के ऊपर एक परत को चढ़ाया जाता है!
- Brush electroplating
ब्रस इलेक्ट्रोप्लेटिंग विधि के अंतर्गत एक संतृप्त ब्रस का उपयोग कर के इलेक्ट्रोप्लेटिंग के क्रिया को कार्यान्वित किया जाता है, इसमें सामान्य तौर पर इलेक्ट्रोलाईट और प्लेटों के बिच एक शोषक कपडे को लपेटा गया होता है, जो की इलेक्ट्रोप्लेटिंग किये जानेंवाले पदार्थ और प्लेट के बिच के सीधा संपर्क को रोकता है। जिस भी धातु के पदार्थ पर परत चढ़ानी होती है उसे D/C पावर के एनोड के साथ जोड दिया जाता है और दुसरे प्वांट अर्थात् कैथोड़ विधुत को ऑपरेटर ब्रस के साथ जोडा जाता है तथा इलेक्ट्रोप्लेटिंग की प्रकृया को पुरा किया जाता है। इस विधि में लो D/C वोल्टेज का उपयोग होता है।
उदाहरण स्वरूप अगर किसी धातु का सामान हो और उसकी उपरी लेयर खराब हो चूकी हो अथवा उसकी चिकनाई खो चूकी है तो इस प्रतिकृया के उपयोग से उसे पूर्ण रूप से सही अवस्था में लाया जाता है। इस प्रतिकृया को इलेक्ट्रोडेपशन भी कहा जाता है। इस प्रतिकृया में एक इलेक्ट्रानिक सर्किट का प्रयोग किया जाता है जिसके अंतर्गत मेन A/C विधुत को सर्वप्रथम D/C विधुत धारा में परिर्वतित् किया जाता है इसके पशचात् कैपेसिटर के माध्यम से इसे फिल्टर किया जाता है फिर हम इसका प्रयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए करते हैं इसे एक इलेक्ट्रोलाईटीक सेल के रूप मे समझा जा सकता है। जिस हिस्से पर धातु की परत चढानी होती है उसे D/C विधुत स्रोत के कैथोड के साथ जोडा जाता है तथा एनोड में वह धातु जिसे चढाना होता है इन दोनों को इलेक्ट्रोलाईट (एक प्रकार का लिक्वीड) के अन्दर डुबोया जाता है। यह इलेक्ट्रोलाईटीक पदार्थ विधुत के लिए सुचालक होते हैं इनमें धातु के लक्षण होते हैं तथा अन्य प्रकार के आयनों से भी ये युक्त होते हैं जो बिजली के प्रवाह में सक्षम होते हैं यह इलेक्ट्रोलाईटीक पदार्थ ही एनोड पर लगाये जानेंवाले धातु को विघटित कर के उसे कैथोड पर लगाई जानेंवाली धातु के उपर परत चढ़ानें का कार्य करती है।
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electroplating |
जैसे कि चांदी के परत के लिए सिल्वर-क्लोराइड का उपयोग किया जाता है, तथा तांबे के लेयर को चढ़ाने के लिए, एसिड समाधान में, तांबे के एनोड में Cu2 + से दो इलेक्ट्रॉनों को खो कर ऑक्सीकरण किया जाता है। Cu2 + आयनों SO2ates के साथ संबद्ध है! पूर्व में सिक्कों के उपर पतली और चमकदार परत चढानें के लिए इस विधि का उपयोग किया जाता रहा है। जो की तांबे के सिक्कों के उपर जस्ते की एक लेयर चढाई जाती थी। अलग अलग प्रकार कि धातुओं की कोटींग के लिए अलग अलग प्रकार के धातुओं के सब्सट्रेट का उपयोग होता है। electroplating विधि मे जिस प्रतिशत के हिंसाब से धातु के कैथोड़ भाग पर धातु का प्रतिलेपन किया जाता है वही प्रतिशत एनोड से विघटन में भी होता है। यहाँ इलेक्ट्रोलाईट का प्रयोग दोनों इलेक्ट्रोडों को आपस में वैधुतिक कृया करानें के लिए प्रयोग में लिया जाता है। इसके अलावा गैर धातु रसायनों का उपयोग इलेक्ट्रोलाईट मे चालकता को बढ़ानें के लिए भी आवशयकता के अनुसार किया जाता है। इलेक्ट्रोलाईटींग प्रकृया में जिस वस्तु पर परत चढ़ाया जाता है कभी कभी उसके कुछ भाग पर परत को चढ़नें से रोकनें के लिए वैक्स, लैक्विर्स, टेप आदि का प्रयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत इलेक्ट्रोकेमिकल डिप्रेशन का उपयोग भी इन प्रतिकृयाओं में किया जाता है। जिससे कि आक्साइड को सही तरीके से संचालन किया जा सके और चढ़ाई जानेंवाली स्ट्रक्चर की आकृति और थिकनेस को नियंतित्रत किया जा सके। जिस प्रतिकृया के अंतर्गत किसी वस्तु पर धातु की परत चढ़ाई जाती है वह हाइड्रोलिसिस कहलाता है। कुछ घातुओं कि कोटिंग प्रकृया में उन्हें लगातार चलाते रहना होता है ट्यूब और तारों आदि के इलेट्रोप्लेटिंग में इस विधि का प्रयोग किया जाता है। एक और तरह के रैक विधि का प्रयोग भी electroplating के लिए किया जाता है। जिसके अंतर्गत बडे तथा जटिल सामग्रीयों. पर लेयर चढ़ानें के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसमें लेयर किये जाने वाले सामान को एक रैक के उपर चढ़ाया जाता है और उसे फिर इलेक्ट्रोइटिक पर्दाथ में डुबोते है। इसके बाद D/C विधुत् सर्किट के द्रारा इनपर विधुत् धारा प्रवाहित कि जाती है। जिससे कि धातु के प्रमाणु एक पतली परत के रूप में दोनों इलेक्ट्रोड में से एक के उपर धीरे धीरे जमा होनें लगती है। और धातु की एक परत के रूप में हमें प्राप्त होता है। electroplating के लिए यह एक सामान्य विधि है! जिसका प्रयोग ज्यादातर किया जाता है। आमतौर पर यह एल्यूमीनियम और जस्ता आदि धतुओं के लिए उपयोगि होता है जिसपर क्रोम और निकल आदि धातुओं को चढ़ाया जाता है।
The symbols I, II, III Represents the valancies of the corresponding elements. |
electroplating पकृया के अंतर्गत दोनो इलेक्ट्रोडों को विधुत् की आपुर्ती के लिए एक बैट्री के द्रारा अथवा A/C करन्ट को D/C विधुत् धारा में परिर्वति कर के किया जाता है। electroplating विधि के अंतर्गत ज्यातर निकल जस्ता सोना चांदी क्रोमियम और कैडमियम आदि मुख्य प्रकार के धातुओं का प्रयोग किया जाता है।