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इलेक्ट्रॉनिक्स / इलेक्ट्रिकल, सेमीकंडक्टर, इंडक्टर्स, रजिस्टेंस, इलेक्ट्रॉनिक प्रोजेक्ट, बेसिक इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रॉनिक्स ट्यूटोरियल, कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी, और इसी तरह के अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स संबंधित जानकारीयाँ पूर्ण रूप से हिन्दी में ……

सोमवार, 25 फ़रवरी 2019

WHAT IS TRANSFORMERS AND HIS WORKS.

TRANSFORMERS

Types of  transformers
Types of  transformers

एक Transformers के व्याख्यान के बारे में यह कहा जा सकता है कि यह एक ऐसा इलेक्ट्रिकल उपकरण है जा प्रत्यावर्ती विधुत धारा को उपयोगिता के अनुसार उच्च अथवा निम्न विधुत धारा में परिर्वतित करनें का कार्य करता है इस कार्य के लिए इसके प्राईमरी और सेकेन्ड्री में कोई परस्पर संबंध नहीं होता है।यह इन्डक्सन के सिद्धान्त पर कार्य करनें वाला उपकरण है इसमें दो या दो से अधिक क्वायल पास पास रखी गई होती है एक क्वायल में A/C सप्लाई दिये जानें पर EMF इंडयूस्ड हो जायगा और बगैर किसी प्रकार के कनेक्सन के दुसरे क्वायल पर हमें वोल्टेज की प्राप्ती होगी। इस इलेक्ट्रिीकल यंत्र को अपनें उपयोग के लिए किसी प्रकार का विधुत नहीं चाहिए होता है। जिस मात्रा में प्राईमरी को विधुत दी जाती है वह हमें सेकेन्ड्री में लगभग प्राप्त हो जाता है, परन्तु कुछ ऐसे भी कारक होते है जो प्रईमरी से सेकेन्ड्री में जानें वाले विधुत धारा को काफी हद तक प्रभावीत करते हैं। इसमें उपयोग किये जानें वाले कोर की प्रकृति जैसे कारक इस कार्य में काफी अहम भुमिका निभाते हैं, एक Transformers के कार्यान्वित होनें के लिए संभावीत मैग्नेटिक फिल्ड इफेक्ट पर पूर्ण रूप् से निर्भर होता है इस मैग्नेटिक फिल्ड के कारण ही प्राईमरी में दिया जानेंवाला वोल्टेज हमें सेकेन्ड्री पर हु-बहु प्राप्त होता है। मैग्नटिक फिल्ड की तिब्रता Transformers में उपयोग किये जानें वाले कोर जो कई प्रकार के होते हैं उनके क्षेत्रफल पर निर्भर करता है। Transformers से प्राप्त विधुत की शक्ति की गणना वोल्ट और एम्पियर में की जाती है जो प्राईमरी में दिये जानें वाले वोल्ट और एम्पियर की गणना कर के  गुणणफल से निकाला जाता है। मुल रूप् में यहाँ यह समझनें वाली बात यह है कि एक Transformers की सारी कार्य विधि का जिम्मेवार इलेक्ट्रोमैग्नेट की तकनीक होती है इसके प्राईमरी पर बननें वाला इलेक्ट्रोमैग्नेट जितना ज्यादा तिब्र प्रभाव का होगा उसके सेकेन्ड्री पर इसी तिब्रता के अनुसार हमें वोल्टेज और करन्ट की प्राप्ती होगी। अपनें उपयोग के अनुसार एक ट्रांसर्फामर से एक, दो, या कई सारी अलग-अलग क्वायल की वाईडिंग की जाती है। जिससे सेकेन्ड्री से हमें कई सारे अलग अलग प्रकार के वोल्टेज और करन्ट की प्राप्ती होती है। Transformers की डिजाईनींग एवं एवं उसके इनपुट में दिये जानें वाले करन्ट की मात्रा तथा आउटपुट से अर्थात सेकेन्ड्री से प्राप्त होनें वाले करन्ट और वोल्टेज की गणना कई तरह के फार्मुलों का उपयोग कर के किया जाता है। एक ट्रांसर्फामर के अन्दर प्राईमरी और सेकेन्ड्री वोल्टेज और करंट के परस्पर संबंध के समीकरण के ज्ञात हेतु कुछ फामुर्ले  इस प्रकार से हैं!


Transformers image
Transformers image

Transformer formula



V1-प्राईमरी को दिया गया वोल्टेज
V2-सेकेन्ड्री में प्राप्त होनें वाले वोल्टेज
I1-प्राईमरी का करेन्ट
I2-सेकेन्ड्री का करेन्ट
N1-प्राईमरी में लगाये गये कुल टर्नो की संख्या
N2-सेकेन्ड्री में लगाये गये कुल टर्नो की संख्या

                तरह-तरह के उपयोगिता और कार्य प्रणाली के अनुसार ट्रांसर्फामरों का निमार्ण किया जाता है। वर्गीकरण के अनुसार ट्रांसर्फामर को निम्न श्रेणियो में हम रख सकते हैं।
  • ट्रांसर्फामर निर्माण में उपयोग किये जानें वाले कोर के प्रकृति के अनुसार:-

  1. Core Types
  2. Shell Types
  3. Berry Types

  • ट्रांसर्फामर की कुलिंग प्रकृया अर्थात् एक ट्रांसर्फामर को ठंढ़ा किये जानें के तरीके के अनुसार:-

  1. Air Cooled
  2. Water Cooled
  3. Oil Self Cooled
  4. Self Cooled

  • प्राप्त होनेंवाले आउटपुट वोल्टेज के अनुसार:-

  1. Step Up
  2. Step Down

  • विशेष प्रकार के कार्यो की प्रकृति के अनुसार:-

  1. Output Transformer
  2. Auto Transformer
  3. Driver Transformer
  4. EHT Transformer
  5. IF Transformer

  • फेज के अनुसार:-

  1. Single Phase
  2. Three Phase

  • पावर रेटिंग के अनुसार:-

  1. Power Transformer
  2. Lighting Transformer


Power sub station
Power sub station

आज के समय में अगर ट्रांसर्फामर का उपयोग देखा जाये तो यह काफी प्रकार के इलेक्ट्रीकल्स और इलेक्ट्रानिक उपकरणों में किया जाता है। आज के समय में ज्यादातर इलेक्ट्रीकल्स और इलेक्ट्रानिक
उपकरणों में पावर सप्लाई के तौर SMPS, STR और अन्य इसी प्रकार इलेक्ट्रानिक पावर सप्लाई का उपयोग नहीं किया जाता है वहां पर पावर के मुख्य स्रोत के रूप् में एक ट्रांसर्फामर की मुख्य भुमिका होती है। इसके अलावा जहां ज्यादा बडे पावर स्रोत की आवश्यकता होती है वहां पर इलेक्ट्रानिक पावर सप्लाई विफल होते हैं। उस स्थान पर ट्रांसर्फामर का उपयोग करना ही एक मात्र संभावना रह जाती है।
इस प्रकार से हम कह सकते हैं की आधुनिक समय में एक Transformers की उपयोगिता इतनी ज्यादा है की यह इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रानिक क्षेत्र का एक अभिन्न हिस्सा है।
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