electromagnetic
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electromagnetic flow |
जब किसी सर्किट को करंट अथवा वोल्टेज दी जाती है तो उस सर्किट में एक तरह का मैग्नेटिक फिल्ड पैदा होता है यह उत्पन्न हुई उर्जा या तो फिल्ड में एकत्र होते जाते हैं या ताप अथवा गर्मी के रूप में वातरवरण में फैल जाती है। किसी फ्रिक्वेंशी के अंतर्गत उर्जा का फैलना उस फ्रिक्वेंशी के वर्ग के बराबर का होता है। जब एन्टेना पर का वोल्टेज सबसे ज्यादा होता है तब एन्टेना का चार्ज उसके बीच से सिकुड़ता चला जाता है इस प्रकार से एक एक कर सभी लाइनें सिकुड़ कर एक चैंथाई समय में जिरो पर पहुंच जाती है इस प्रकार से सबसे बाहरी घेरा अपना चक्र पूर्ण नहीं कर पता और वह इलेक्ट्रोमैग्नेट के रूप में प्रसारित होनें लगता है विभिन्न प्रकार की प्रसारण का करक electromagnetic वेव्स ही होते हैं 10 से 100 कि0 मी0 के प्रसारण क्षेत्र को स्ट्रटोस्फीयर कहा जाता है तथा 100 कि0 मी0 से उपर आनेवाले क्षेत्र आइनोस्फीयर क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। प्रसारण के दृष्टिकोण से रेडियो तरंगो को तिन विभागो में बांटा गया है।
- ग्राउंड वेव्स
- स्पेस वेव्स
- स्काई वेव्स
- ग्राउंड वेव -
इस प्रकार के परोपगेशन लो फ्रिक्वेंशी के प्रसाण हेतु उपयोगी है, यह हाई फिक्वेंशी प्रसारण के लिये उपयोगी नहीं होता है इस प्रकार के वेव्स को सरफेस वेव्स के रूप में भी जाना जाता है। चूकि ग्राउंड वेव्स वर्टीकली पोलेराइज्ड होनें के कारण यह पृथवी में चार्ज पैदा करनें के साथ पृथवी के साथ साथ वर्टीकली चलता जाता है जैसे जैसे फ्रिक्वेंशी बढ़ती जाती है वैसे वैसे पृथवी का एटेन्युएशन बढ़ता जाता है तथा यह मैग्नेटिक फिल्ड कमजोर पड़ता जाता इसलिए ग्राउंड वेव प्रसारण को ज्यादा दूरी के प्रसारण हेतु उपयोगी नहीं समझा जाता ग्राउंड वेव्स के अंतर्गत प्रसारण के लिए अधिकतम लगभग 8 मेगा हर्टज तक की फ्रिक्वेंशी तक का उपयोग किया जाता है उससे उच्च फ्रिक्वेंशी के लिए यह उपयोगी नही है।
- स्पेस वेव -
30 मेगा हर्टज से उपर की फ्रिक्वेंशी के प्रसारण हेतु स्पेस वेव प्रसारण का सहारा लिया जाता है क्योंकि ग्राउंड वेव्स मेथड से इतनें उपर की फ्रिक्वेंशी का प्रसारण नहीं किया जा सकता इसका मुख्य कारण यह है कि 30 मेगा हर्टज से उपर की फ्रिक्वेंशी आइनोस्फीयर से रिफलैक्ट नहीं हो पाती है अतः इस प्रकार के प्रसारण के लिए स्पेस वेव का उपयोग किया जाता है।
- स्काई वेव -
स्काई वेव के अंतर्गत प्रसारित वेव्स आइनोस्फीयर के किसी कोण से टकरानें के बाद आइनाइज्ड मीडियम के रिफरैक्टिव इन्डैक्स के कारण वापस मुड़ जाती है और इस प्रकार यह ज्यादा बडे क्षेत्र के प्रसारण में उपयोगगी हो पाता है। स्काई वेव्स के अंतर्गत प्रसारीत होनें वाली फ्रिक्वेंशी कुछ विभिन्न प्रकार के कारकों पर भी निर्भर करते हैं। जो इस प्रकार से है।
- प्रसारीत की जानेंवाली फ्रिक्वेंशी
- भुमी का चुम्बकीये क्षेत्र
- इलैक्ट्रोन की डैन्सिटी
- हवा के साथ टकराव
S.N
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Radio Frquency
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Frequency
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1
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Very Low Frequency
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10 - 30 Khz
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2
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Low Frequency
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30 - 300 Khz
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3
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Medium Frequency
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300 - 3000 Khz
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4
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High Frequency
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3 - 30 Mhz
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5
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Very High Frequency
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30 -300 Mhz
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6
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Ultra Frequency
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300 -3000 Mhz
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7
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Super High Frequency
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300 -30000 Mhz
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8
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Extremely High Frequency
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30 -300 Ghz
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9
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