Voltage Stabilizer
Voltage Stabilizer |
Voltage Stabilizer जिसका प्रमुख कार्य है बिजली स्टेशन से आनेंवाली करंट को कंट्रोल करना बिजली स्टेशन से सीधी तौर पर हमारे घरो में जो उर्जा आती है उसमे काफी उतार चढ़ाव होता है कभी लोड के बढ़ जानें से तो कभी बीजली स्टेशन से ही कम उर्जा की सप्लाई की जाती है ऐसे में घरों या अन्य स्थानों पर प्रयोग किये जानेंवाले बिजली के उपकरणों जो 220 या 110 वोल्ट पर चलनें के लिये डिजाईन किये जाते हैं उन्हें बिजली के उतार चढ़ाव से जल्द ही खराब होनें की संभावना बनी रहती है ऐसे में उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वोल्टेज स्टेब्लाईजरों का प्रयोग किया जाता है! जो बिजली में आ रहे फलेक्चुऐशन (बीजली की निरंतरता में उतर–चढाव) को रोक कर उन उपकरणों को चलाने के लिए निरंतर स्थीर बीजली का प्रवाह मुहैया कराती हैं। जिसके कारण बिजली के उपकरणों को लम्बे समय तक सुरक्षीत रूप से उपयोग किया जा सकता है।
मार्केट में मिलनें वाले स्टेब्लाईजर तीन प्रकार के होते हैं।
- मैनुअल स्टेब्लाईजर
- ओटोकट स्टेब्लाईजर
- ओटोमैटिक स्टेब्लाईजर
- मैनुअल स्टेब्लाईजर :- मैनुअल स्टेब्लाईजर में डाईरेक्ट वोल्टेज को बढाया या धटाया जा सकता है, परन्तु इसके किसी भी प्वांट पर करन्ट को काटनें की व्यवस्था नहीं होती है। इस प्रकार का स्टेब्लाईजर को मैनुअल स्टेब्लाईजर कहा जाता है ऐसे स्टेब्लाईजर को बनानें में निम्नलिखित प्रकार के सामग्रीयों का प्रयोग होता है।
मेन ट्रांसफार्मर आउटपुट सॉकेट वोल्ट मीटर फयूज ऑन ऑफ स्वीच इंडिकेटर लाईट डायोड आदि।
- ओटोकट स्टेब्लाईजर :- इस स्टेब्लाईजर में आवश्यकतानुशार वोल्टेज को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। मैनुअल स्टेब्लाईजर के अपेक्षाकृत यह सुरक्षीत होता है आवष्यकता से अधिक वोल्ट होनें पर इसमें स्वतः आउटपुट वोल्ट को कट कर दिया जाता है जिससे की उससे चलाये जा रहे उपकरण को ज्यादा वोल्ट बढ़नें पर सुरक्षीत बचाया जा सके, इस स्टेब्लाईजर में मैनुअल स्टेब्लाईजर में लगे कम्पोनेन्ट के अतिरिक्त निम्नलिखित सामग्री और लगाये जाते हैं । रिले, रिले आपरेटिंग किट (ऑटो कट किट) और ऑन एवं ऑफ की जानकारी हो सके इसके लिए एक लाल और एक हरे रंग का इंडिकेटर लगाया जाता है।
- ओटोमैटिक स्टेब्लाईजर :- जैसा की नाम से ही जाहीर है ओटोमैटिक स्टेब्लाईजर में इनपुट वोल्टेज के उतर-चढ़ाव का कोई विशेष अंतर नहीं पडता है इनपुट में आ रहे वोल्टेज के उतार चढाव को यह बडी ही आसानी के साथ मेन्टेन कर लेता है! और आउटपुट मे हमें एक स्थिर वोल्टेज प्राप्त होता है। बार-बार इसे मैनुअली ऑपरेट करनें की आवश्यकता नहीं होती है! हमारे घरों में लगाई जानें वाली फ्रिज,एसी, आदि उपकरणों में इसका प्रयोग ज्यादातर किया जाता है।
स्टेब्लाईजर में लगाये जानेंवाले कम्पोनेन्ट का विवरण:-
- ट्रांसफार्मर :-
मैनुअल और ओटोकट स्टेब्लाईजर में एक ही प्रकार के ट्रांसफार्मर का प्रयोग किया जाता है परन्तु ओटोमेटिक स्टेब्लाईजर के लिए एक विशेष प्रकार के ट्रांसफार्मर का प्रयोग किया जाता है। ओटोकट स्टेब्लाईजर में प्रयुक्त ट्रांसफार्मर में एक पोल प्रईमरी के अलावे सेकेन्ड्री क्वाल(coil) से आठ तरह की टेपीग नीकाली गई होती है, इसके अलावे रिले ऑपरेटिंग कीट को चलानें के लिए ज्यादातर इसी ट्रांसफार्मर से ही एक 12 वोल्ट की टेपीग निकाल लिया जाता है । इस ट्रांसफार्मर का कॉमन तथा एक नंबर का पोल प्राईमरी वाईडींग होता है। शेष टेपींग सेकेन्ड्री का काम करती है। स्टेप डाउन की स्थीति में हमें सेकेन्ड्री वाईन्डींग पर घटता हुआ वोल्टेज प्राप्त होता है। तथा स्टेप अप की स्थीति में बढता हुआ वोल्टेज मिलता है! एक रोटरी स्वीच के द्रारा अपनी आवशयकत के अनुसार किसी भी प्वांईट पर इसके वोल्टेज को सेट किया जाता है।
Transformer |
- डी.पी.डी.टी स्वीच :-
डी.पी.डी.टी स्वीच में आठ पोल होते है अगर स्वीच स्टेप अप की स्थीति में होता है तो पीन न0 1 और 2 के बीच कनेक्शन मिलता है! इससे और किसी भी पिन का कोई संबंध नहीं होता है, इसी अवस्था में अर्थात स्टेप अप की अवस्था में ही हमें पीन न0 3 और 4 के बीच भी कनेक्शन मिलता है तथा इसका भी कोई संबंध किसी और पीन से नहीं होता।
स्टेप डाउन की स्थीति में 5 न0 की पीन तथा 6 न0 की पीन के साथ कन्टीन्यूटी मिलता है जिसका अन्य किसी पीन से कोई संबंध नहीं होता, इसी अवस्था में हमें पीन न0 7 तथा 8 के बीच भी कन्टीन्यूटी मिलता है जिसका संबंध अन्य किसी भी पीन से नहीं होता है। इस प्रकार से इसके आठो पोल 2-2 के अनुपात में चार साधारण स्वीच की तरह कार्य करते हैं, अपनें कार्य के अनुसार स्टेब्लाईजर के अन्दर इसे व्यवस्थीत किया जाता है।
D.P.D.T Switch |
- वोल्ट मीटर :-
एक स्टेब्लाईजर के इनपुट आौर आउटपुट में मिलनें वाली वोल्टेज की मात्रा को वोल्ट मीटर के माध्यम से ही हम जान पाते हैं, एक साधारण स्टेब्लाईजर में प्रयोग किये जानें वाले वोल्टमीटर में 0 से लेकर 300 वोल्ट तक की रीडींग दी गई होती है। इसे एक स्वीच के माध्यम से स्टेब्लाईजर के इनपुट और आउटपुट ट्रमिनलों से जोडा जाता है। उपयोग के अनुसार इससे ज्यादा वोल्ट के वोल्टमीटर भी बाजार में उपलब्ध होते हैं उनका भी उपयोग ऐसे स्थानो पर किया जाता है जहां की वोल्टेज रीडींग हमें लेनी होती है।
Volt Mitter |
- रिले :-
यह एक प्रकार का स्वीच ही होता है जिसे डीसी वोल्ट के माध्यम से कन्ट्रोल किया जाता है। यह कई वोल्ट में उपलब्ध होते हैं जैसे 6 वोल्ट, 12 वोल्ट, 24 वोल्ट, 220 वोल्ट, आदि इनका प्रयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है जहां ओटोमैटिक रूप से स्वीचींग प्रकृया को क्रियान्वित करना होता है, ओटोकट और ओटोमैटिक स्टेब्लाईजरों के लिए यह एक मुख्य घटक है। अपीतु इसका प्रयोग और भी कई स्थानों पर किया जाता है।
Relay |
- ओटोकट कीट :-
स्टेब्लाईजर के अन्दर स्वीचींग प्रकृया को ओटोमैटीकली क्रियान्वित करनें के लिए इनका प्रयोग किया जाता है इनमें कई तरह के इलेक्ट्रानिक्स पार्टस का प्रयोग किया जाता है ओटोकट अथावा ओटोमैटिक स्टेब्लाईजर के निर्माण के लिए यह भी एक मुख्य घटक हैं। एक स्टेब्लाईजर के अन्दर लगाई जानेंवाली रीले को इसी किट के माध्यम से कन्ट्रोल किया जाता है।
Auto Cut Kit |
इसके अलावे एक Voltage Stabilizer के निर्माण में निम्नलिखित सामग्रीयों का भी प्रयोग किया जाता है। एक बॉडी (जिसके अन्दर सारी सामग्रीयों को व्यवस्थीत किया जाता है) इंडीकेटर, मेन लीड़, 3पीन सॉकेट, ऑन /ऑफ स्वीच आदि।
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