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गुरुवार, 3 जनवरी 2019

how to make variable power supply.

variable power supply

variable power supply
variable power supply

बैटरी एलिमिनेटर जिसका प्रयोग हम दो तरह से कर पाते हैं एक तो ये कि इस एलिमिनेटर का प्रयोग एक बैटरी की तरह से किया जा सकता है, और दुसरे उपयोग के तौर पर इस एलिमिनेटर पॉवर रोटरी नोब को सही प्वांट पर सेट कर के बैटरी को चार्ज किया जा सकता है, इसका निर्माण काफी आसान है, इसके साथ ही  यह काफी उपयोगी इलेक्ट्रानिक घटक भी है! अब के समय में भी बैटरी एलिमिनेटर का उपयोग काफी स्थानों पर किया जाता है, और किया जा सकता है। चूकि इमें एक निस्चित वोल्टेज को सेट करनें के लिए रोटरी स्वीच का प्रयोग किया जाता है इस लिए इस स्वीच का उपयोग कर के अपनी आवस्यकता के अनुसार 1.5 वोल्ट, 3वोल्ट, 6वोल्ट, 9वोल्ट, 12 वोल्ट में से किसी एक प्वांट पर वोल्ट को सेट कर के इसका उपयोग किया जाता है। इसे इनपुट 220 वोल्ट या 110 वोल्ट के लिए डिजाईन किया जाता है, अर्थात् इसके लिए बिजली का स्रोत मेन 220 वोल्ट पावर सप्लाई होता है! जो हमरे धरों में प्रयोग किया आता है, इसमें लगाई जानेंवाली स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर के जरिये पहले एसी 1.5V, 3V, 6V,9V, और 12V वोल्ट की टेपींग निकाली जाती है, इसके पश्चात् डायोड के माध्यम से उसे A/C वोल्ट से D/C वोल्ट में परीर्वतीत किया जाता है, और आगे कैपेसीटर लगा कर उस वोल्टेज पर हम फिल्टर का काम करते हैं, और अंतीम स्टेज से हमें फाईनल D/C आउटपुट प्राप्त होता है!
Rectifecation
Rectifecation
लगभग 1925 के दशक में रोजर्स सीनियर कंपनी के द्रारा बैटरी एलीमिनेटर का पहला व्यवसायीक उत्पादन होना प्रारम्भ हुआ था! जो रेडियो रिसिवरों में बैटरी के स्थान पर उसके पुरक के रूप में कार्य करते थे । पुरानें समय के रेडियो रिसिवरों के निर्माण में ट्रांजिस्टर के स्थान पर वैक्यूम ट्यूबों का उपयोग किया जाता था, इन वैक्यूम ट्यूबों को ऑन करनें के लिए तीन चार तरह के वोल्टेजों की आवश्यकता होती थी यहाँ बौटरी एलिमिनेटर का उपयोग उसे चलाने के लिए किया जाता था !
         आधुनिक समय में भी इसका उपयोग काफी प्रचुरता के साथ किया जाता है, विडियो कैमरों के एडिप्टर, मोबाईल चार्जर आदि को अगर देखा जाये तो यह बैटरी एलिमिनेटर के ही पुरक डिवाइस हैं, लो एम्पियर के बैटरी एलिमिनेटर के लिए ट्रांसफार्मर के स्थान पर S.M.P.S पावर सप्लाई को उपयोग के तौर पर लिया जाता है।  यह पावर सप्लाई लो इनपुट वोल्टेज पर भी उचित आउटपुट देनें में सक्षम होते हैं, इलेक्ट्रानिक परिक्षेत्र में किसी स्थान पर जहां बैटरी के उपयोग से इलेक्ट्रानिक डिवाईस को चलाया जाता है वहां बैटरी के न होनें अथवा उनके खराब हो जानें पर बैटरी ऐलिमिनेटर का उपयोग कर के उस डिवाईस को काफी आसानी के साथ चलाया जा सकता है। अगर वह बैटरी रिर्चाजेबल टाईप की होती है तो वह एलिमिनेटर के द्रारा चार्ज भी किया जाता है।
-: एक एलिमिनेटर बनानें के लिए उपयोग किये जानें वाले सामग्री का विवरण :-
एलिमिनेटर के निर्माण मे बहुत ज्यादा इलेक्ट्रानिक सामग्रीयों का उपयोग नहीं किया जाता है, इसे बनानें के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित समग्रीयो का प्रयोग किया जाता है।
1.स्टेप डउन ट्रांसफार्मर, 2.ऑन/ऑफ स्विच, 3.फिल्टर के अनुसार एक दो या चार डायोड का उपयोग, 4.कैपेसीटर, एवं इन सारे घटकों को एक जगह पर स्थापीत करनें के लिए एक कैबेनेट या बॉडी का भी उपयोग किया जाता है।
एलिमिनेटर के निमार्ण से संबंधीत रेक्टीफिकेशन एक मुख्य प्रकृया है। जैसा की हम जानते हैं A/C मेन सप्लाई में 50/60Hz साईकल होते हैं एक एलिमिनेटर में प्रयोग किये जानेंवाले स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर के सेकेन्ड्री पर भी यही साईकल हमे प्राप्त होता हैं!
     इस करंट को इलेक्ट्रानिक उपकरणों के संचालन करनें लायक बनानें के लिए जो रेक्टीफायर का उपयोग हम करते हैं उसे तीन विधियों से आपस में जोडा जाता है!, 


  1. हाफ वेभ रेक्टीफिकेशन,  
  2. फुल वेभ रेक्टीफिकेशन,   
  3. ब्रीज रेक्टिफिकेशन, 
  • हाफ वेव रेक्टिफिकेशन :- जब हम A/C करंट को डायोड के एनोड पर देते हैं तो उससे पोजेटीव साईकल फार्वड वायस के कारण वहीं ब्लाक हो जाती है, तथा नेगेटीव साईकल एनोड से पास हो कर डायोड के कैथोड पर आ जाती है जो हमें एक सीधा लाईन देती है। यह D/C करंट होती है। इसमे एक सींगल डायोड का प्रयोग किया जाता है इस व्यवस्था को हाफ वेभ रेक्टिफायर कहा जाता है।
Half Wave Rectifecation
Half Wave Rectifecation

  • फुल वेव रेक्टिफिकेशन :- इस रेक्टिफिकेशन के अंतर्गत दो डायोड का प्रयोग किया जाता है, इनका भी वही कार्य होता है पोजेटिव साईकल को ब्लाक कर के नेगेटीव साईकल को पास होनें देना, परन्तु स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर के आउटपुट में कॉमन टेपींग के अलावे 12V/12V (वोल्ट) की दो आउटपुट टेपिंग का प्रयोग किया जाता है, उन दोनों प्वांट में अलग-अलग डायोड लगा कर रेक्टिफिकेशन का कार्य किया जाता है। और आखरी स्टेप में उन दोनों 12V/12V (वोल्ट) के प्वांट को जोड कर एक सिंगल 12V (वोल्ट) की टेपींग नीकाल ली जाती है। और एक कैपेसिटर के माध्यम से इस करंट को फ़िल्टर किया जाता है!  यह फुल वेभ रेक्टिफिकेशन कहलाता है।
Full Wave Rectifecation
Full Wave Rectifecation
  • ब्रीज रेक्टिफिकेशन :- इस व्यवस्था में डायोड D1 के कैथेड तथा D2 के एनोड पर A/C सप्लाई तथा D3 के कैथोड और D4 के एनोड पर A/C सप्लाई देते हैं । इससे A/C का नेगेटीव साईकल D2 तथा D4 के कैथोड पर मिलता है D2 तथा D4 के एनोड पर ब्लॉक हुआ पोजेटीव साईकल रिर्वस वायस के कारण D1 तथा D3 के कैथोड से होता हुआ D1 तथा D3 के एनोड पर जाता है और उसे ग्राउंड कर दिया जाता है। इस व्यवस्था को ब्रिज रेक्टिफायर कहा जाता है।
Bridge Wave Rectifecation
Bridge Wave Rectifecation


इन तीनो प्रकार के रेक्टिफिकेशन व्यवस्था को  अलग-अलग स्थानों पर उनके उपयोग के अनुसार व्यवस्थित किया जाता है!
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