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इलेक्ट्रॉनिक्स / इलेक्ट्रिकल, सेमीकंडक्टर, इंडक्टर्स, रजिस्टेंस, इलेक्ट्रॉनिक प्रोजेक्ट, बेसिक इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रॉनिक्स ट्यूटोरियल, कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी, और इसी तरह के अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स संबंधित जानकारीयाँ पूर्ण रूप से हिन्दी में ……

रविवार, 23 दिसंबर 2018

What is Transistor And Their Works.

Transistor

एक Transistor वास्तव में अर्धचालक पदार्थ का बना एक धटक होता है। जो इलेक्ट्रानिक  सिगनल को बढ़ानें का कार्य करता है, यह इलेक्ट्रानिक सर्किट में स्विचींग के कार्यो को भी संपादित करता है, ट्रांजिस्टर की बॉडी से तीन टर्मिनल बाहर निकाले गये होते हैं, जो क्रमशः बेस, कलेक्टर और इमिटर कहलाता हैवर्तमान समय में प्रयोग किये जानें वाले उपकरणों में ट्रांजिस्टर एक मौलिक घटक है, लगभग सभी प्रकार के इलेक्ट्रानिक उपकरणों में इसका प्रयोग बहुतायत से किया जाता है, ट्रांजिस्टर की खोज इलेक्ट्रानिक के क्षेत्र में एक क्रान्तीकारी खोज था, जिसके फलस्वरू इलेक्ट्रानिक उपकरणों के निर्माण में काफी कम लागत आनें लगी थी, इस खोज के लिए अमेरिका के भौतिक वैज्ञानिक जॉन ब्रर्दन, वाल्टर ब्रैटन, और विलियम शाॅकली को 1956 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था । एक ट्रांजिस्टर उच्च फ्रक्वेंसी पर कार्य करनें मे अपेक्षाकृत ट्यूब के काफी दक्ष होता है।


Transistor
Transistor

    19530 मे पहला हाई फ्रिक्वेंशी Transistor की  खोज फिलको द्रारा किया गया जो 60 मेगाहर्ट्ज की फ्रिक्वेंशी तक कार्य करनें में दक्ष था। इस ट्रांजिस्टर को जर्मेनियम अर्धचालक पदार्थ का प्रयोग करके बनाया गया था। इलेक्ट्रानिक के क्षेत्र में ट्रांजिस्टर के अत्यधीक महत्व के कारण ही रेडियो रिसिवर उपकरण को सीधे तौर पर ट्रांजिस्टर कहा जानें लगा था, इसके महत्व को देखते हुए कई लोगों नें इसे 20वीं शताब्दी का सबसे महान आविष्कार माननें लगे, ट्रांजिस्टर के कम उत्पादन लागत और इसके कार्य करनें की विश्वसनीयता नें इसे सर्वव्यापी उपकरण की श्रेणी में खडा कर दिया, इसे काफी कम पुर्जो के साथ नियंत्रित किया जा सकता था, और यह काफी कम बिजली की खपत भी करते थे डिजिटल उपकरणों में स्विच के रूप  में उनका प्रयोग किया जाता है जो एक समय में ऑन या ऑफ की स्थीति में हो सकते हैं, स्विच मोड पावर सप्लाई में इसका प्रयोग बहुतायत में किया जाता है उपयोग के अनुशार यह दो प्रकार से डिजाईन किया जाता है, जो "एन पी एन" और "पी एन पी" Transistor कहलाता है।

different types of transistors
different types of transistors

  • NPN Transistor -

जब दो NP डायोड के चार पोल में से दो पोल PP को कनेक्ट कर देतें हैं तो हमें शेष तीन पोल बचा हुआ प्राप्त होता है, और यह NPN ट्रांजिस्टर कहलाता है। NPN ट्रांजिस्टर के बेस पर सीगनल इमीटर को ग्राउण्ड तथा क्लेक्टर पर पोजेटिव सप्लाई देते हैं इसका क्लेक्टर आउटपुट का भी र्काय करता है।

  • PNP Transistor -

जब दो NP डायोड के चार पोल में से दो NN पोल को कनेक्ट कर देतें हैं तो शेष बचे तीन पोल PNP ट्रांजिस्टर कहलाता है। PNP ट्राजिस्टर के बेस पर सिग्नल इनपुट तथा क्लेक्टर को ग्राउण्ड करते हैं इसके इमीटर पर पोजेटिव सप्लाई देते हैं तथा इसके इमिटर पर से ही आउटपुट कनेक्शन लिया जाता है।
transistor types
transistor types

  • जाचनें का तरीका :-

एक NPN ट्रांजिस्टर को टेस्ट करने के लिए इसके बेस पर मल्टीमीटर का पेजेटिव पोल(+) रखते हैं मल्टीमीटर के नेगेटिव पोल(-) को बारी बारी से इस ट्रांजिस्टर के इमीटर और कलेक्टर पर रखते हैं तो ऐसी अवस्था में मल्टीमीटर दोनों ही पोल पर 1 कीलो ओम का प्रतिरोध बतलाता है यह अवस्था फार्वड वायस कहलाती है जब हम पोलेारीटी को चेंज करते हैं अर्थात् Transistor के बेस पर मल्टीमीटर का नेगेटीव(-) लीड रखते हैं और बारी बारी से कलेक्टर और इमीटर को चेक करते हैं तो इस तरफ से कीसी भी प्रकार का कन्टीन्यूटी नहीं बताना चाहिए अगर ऐसा होता है तो वह ट्रांजिस्टर सही माना जायेगा, अगर ट्रांजिस्टर फार्वड वासस में 0 ओम का प्रतिरोध बताता हो तो वह ट्रांजिस्टर खराब होगा अगर यह रिर्वस वायस में डिफलेक्शन देता है तो भी यह खराब माना जायेगा,अगर इमीटर और कलेक्टर के बीच डिफलेक्शन देता है तो यह र्शोट माना जायेगा,यह ट्राजिस्टर अगर किसी भी तरफ से कोई भी कन्टीन्यूटी न बताता हो तो यह ट्रांजिस्टर ओपन माना जायेगा।
   PNP ट्रांजिस्टर को जाॅचनें का तरीका:- इस प्रकार के Transistor को जाॅंचनें के लिए इसके बेस पर मल्टीमीटर का नेगेटीव पोल(-) रखते हैं तथा इमीटर और कलेक्टर पर बारी बारी से मल्टीमीटर का पोजेटीव लीड(+) सटाते हैं तो वह 1 कीलो ओम का रजिस्टेंस बताता है इस टेस्टींग को फार्वड वायस टेस्टींग कहते हैं पोलेरीटी चेंज करनें पर यानी की बेस पर पोजेटिव पोल तथा इमीटर और कलेक्टर पर क्रमशः मल्टीमीटर का नेगेटीव लीड(-) रखनें से यह कोई कन्टीनयूटी नहीं बताता है तो यह रिर्वस वायस की अवस्था होगी साथ ही अगर इमीटर और कलेक्टर पर मल्टीमीटर के प्रोब को बारी बारी से रखनें पर कोई कन्टीनयूटी नहीं बताना चाहिए इस प्रकार का गुण रखनें वाला ट्रांजिस्टर PNP टाइप का ट्रांजिस्टर कहलाता है अगर कलेक्टर और इमीटर के साथ किसी भी प्रकार का कन्टीन्यूटी बताता हो तो यह ट्रांजिस्टर र्शोट होगा, इसके अलावा रिर्वस वायस की टेस्टींग में किसी भी प्रकार का कन्टीन्यूटी बताता हो तो भी यह ट्रांजिस्टर खराब माना जायेगा।

  • ट्रांजिस्टर का उपयोग :-

किसी भी सीग्नल के एम्पलीट्यूट को बढानें के लिए जो सर्किट प्रयोग में लाया जाता है उसे एम्लीफायर सर्किट कहते हैं इन सर्किटों के निमार्ण मे Transistor का प्रयोग किया जाता है एम्लीफायर का सर्किट कई तरह से डिजाईन किया जाता है जिन्हें निम्नलिखित श्रेणियों में बाॅटा  गया है।

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